है दर्द दिल मे तो कागज पे उतार,
गीला होके कभी तो सूख जायेगा..
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वोह खंजर दिल मे छुपाये रखे
कत्ल का बहाना ढूंढते रहे,
पर कंम्बख्त हमने एक ना दिया
वोह बस्स पीछे पीछे आते रहे..
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आईने उतार दिये, हमने घर के सारे
के अब खुदका दिदार तक हमे, मंजूर नही..
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वो कहते है हमे बेवफा हम नही,
और हमे तो बस उनपे यकीन करना आता है..
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अपनो ने मुंह फेरा, तो गैरो को सुनाते है
कुछ लोग यूं ही, शायर कहलाते है..
अकेले रोया ना जाये, तो औरोंको रुलाते है
कुछ लोग तो यूं ही, शायर कहलाते है..
एक हद तक सेह लेते है, फिर कागज पे उतार देते है
कुछ लोग तो बस्स यूं ही, शायर कहलाते है..
मोहोब्बत को पाने से ज्यादा, खोने मे भरोसा रखते है
बस कुछ ऐसे ही लोग, शायर कहलाते है..
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जो शराब पिते थे तो शराबी कहलाते थे,
जो आंसू पिने लगे, तो शायर कहलाने लगे..
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जो प्यार से मांगो तो जान हाजीर है
वर्ना नफरत करने वालों की, बडी लंबी कतार है ..
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तू क्या बरबाद करेगा, मुझे ए जमाने
तेरी खुद की तकदीर कोई और लिखता है..
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ए गालिब तेरे चाहनेवाले, नफरत करने लगे है हमसे
वोह हुनर जिस मे तू माहीर था, कहते है हमने चुरा लिया..
– तुमचा अभिषेक